कांग्रेस ने पंजाब चुनाव जीत लिया, गोवा में भी बहुमत के करीब पहुंची और मणिपुर चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश ने ऐसा झटका दिया कि कांग्रेस आलाकमान से लेकर कार्यकर्ताओं तक का दिल टूट गया. यह झटका इतनी जोर से लगा कि दोपहर डेढ़ बजे तक पंजाब की जीत का जश्न मनाने वाला कोई नहीं था. कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला, शकील अहमद और पार्टी के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला को छोड़ कोई दूसरा बड़ा नेता कांग्रेस मुख्यालय में नहीं दिखा. यूपी कांग्रेस के प्रभारी गुलाम नबी आजाद तो शाम 3.30 बजे तक अपने घर में ही बंद रहे, उसके बाद मीडिया को घर बुलाकर हार की ज़िम्मेदारी लेने की खानापूर्ति कर दी.
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जरूर कांग्रेस मुख्यालय में लगातार डटे रहे और मीडिया के सवालों के जवाब देते रहे. उन्होंने आकर जब पंजाब में जीत और गोवा, मणिपुर में कांग्रेस के आगे होने की बात बार-बार दोहराई. तब कहीं जाकर दोपहर डेढ़ बजे एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के मुट्ठी भर कार्यकर्ता राहुल के पक्ष में नारेबाजी करते आए, फिर गेट पर कुछ पटाखे भी चले. मक़सद जीत से ज़्यादा राहुल की छवि पर हो सकने वाली चोट को बचाना जो था.
राजीव शुक्ला ने आजतक से कहा, ‘यूपी में हारे तो पंजाब में जीते भी हैं. आप लोग तो कांग्रेस कहीं हारी, उसके लिए बस राहुल जी को ज़िम्मेदार ठहराने लगते हैं.’ वहीं NSUI की अध्यक्ष अमृता धवन ने कहा, ‘हम सबको राहुल जी के नेतृत्व पर भरोसा है. वह तो 5 राज्यों में प्रचार के लिए गए थे. हार की ज़िम्मेदारी तो प्रदेश प्रभारी और अध्यक्ष की बनती है.
हालांकि कांग्रेस की इस हार पार्टी के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने खुलकर बात की. संदीप ने आजतक से बातचीत में कहा, ‘कांग्रेस को आज क्लर्क्स की नहीं, नेताओं की जरूरत है.’ इसके साथ ही यूपी में मिली हार के लिए राहुल गांधी को भी ज़िम्मेदार बताते हुए कहा कि कांग्रेस नीतियों को लेकर इस वक्त कंफ्यूज है. यूपी में पार्टी से रणनीतिक भूल हुई और वहां पार्टी मज़ाक बन कर रह गई है.
वहीं यूपी कांग्रेस के महासचिव उमेश पंडित ने हार के लिए टीम राहुल पर सवाल खड़े किए. आजतक से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी ने अपने इर्द-गिर्द गलत लोगों की टीम बना रखी है, वह सही फीडबैक नहीं देती, भ्रमित करती है. राहुल गांधी ने उस सपा से गठबंधन किया, जिसके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी थी. इसलिए राहुल गांधी को चाहिए कि वह या तो अपनी टीम बदलें या फिर कांग्रेस जनों के लिए और प्रियंका गांधी के लिए रास्ता खाली कर दें.’ इसके साथ ही उन्होंने यूपी चुनाव के लिए कांग्रेस के रणनीतिकार बने प्रशांत किशोर भी सवाल खड़े किए और कहा, ‘ऐसा लगता है प्रशांत किशोर बीजेपी की तरफ से प्लांटेड किए थे.
यूपी से अलग अगर उत्तराखंड में सरकार जाने की बात करें, तो यहां दबी जुबान से सभी के निशाने पर हरीश रावत ही रहें. संदीप दीक्षित ने जहां इस हार के लिए पार्टी की अंदरूनी लड़ाई को जिम्मेदार बताया, तो रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने बीजेपी का दामन थाम और जीते भी. अब तो चर्चा होगी कि वह क्यों गए.
भले ही पंजाब में जीत और गोवा में सबसे बड़ी पार्टी होने के साथ ही कांग्रेस ने आप के खतरे को टाल दिया हो, लेकिन उत्तराखंड के साथ ही यूपी की बड़ी हार ने उसको फ़िलहाल तो सदमे में डाल ही दिया है.
आज तक के सौजन्य से
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