इंजीनियरिंग छात्रों ने बनाया खास उपकरण, मूक-बधिर दिव्यांगों को देगा आवाज

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मुरादाबाद। मूकबधिर दिव्यांगों को आवाज देने के लिए इंजीनियरिंग के छात्रों ने एक ग्लब्स तैयार किया है। जिसके माध्यम से अब ऐसे दिब्यांगों की आवाज आप अपने मोबाइल में सुन सकेंगे। छात्रों के इस अनोखे प्रयोग से उन सभी दिव्यांगों को आवाज मिल सकेगी जिनको अपनी बात कहने और समझाने के लिए संकेतों का प्रयोग करना पड़ता है।

मुरादाबाद के एमआईटी संस्थान के इंजीनियरिंग के छात्रों ने एक ऐसा हाथ का ग्लब्स तैयार किया है जो मुखवधिर हाथ में पहन कर कुछ भी इशारा करेंगे वह मोबाईल के जरिये आप को सुनाई देगा। यह संभव हुआ है एमआईटी के चतुर्थ वर्ष के इलक्ट्रोनिक्स एवं संचार विभाग के चार विद्यार्थि अभिषेक टंडन, हरमीत कौर, केशव मेहरोत्रा एवं खुशबू कश्यप के अथक प्रयासों और प्रयोगों से। यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरण गूंगे और बहरे लोगों को आवाज़ देने में सक्षम है। गूंगे और बहरे लोग अधिकतर अपनी बात कहने के लिए हाथों द्वारा सांकेतिक भाषा का प्रयोग करते हैं। इन संकेतों को वाणी में बदलना का काम करेगा स्मार्ट ग्लब्स।

ऐसे कार्य करेगा यह ग्लब्स
इसको पहनकर अगर कोई गूंगा व बेहरा व्यक्ति संकेकित भाषा में कोई संकेत करेगा तो वह संकेत को वाक्यों एवम वाणी में रूपांतरित कर देगा। इस ग्लब्स में पांच फ्लेक्स सेंसर्स एवं एक एक्सीलेरोमेटेर का उपयोग किया है। इन सारे सेंसर्स की इंटरफेसिंग माइक्रोकंट्रोलर से करी गयी है। इन सब अवयवों के अलावा स्मार्ट ग्लब्स में एक ब्लूटूथ मोड्यूल भी लगा है जो सारे डेटा को एक एंड्रायाड एप्लीकेशन पर भेजता है। यही एंड्रायड एप्लीकेशन शब्दों को वाणी में परिवर्तित करने का कार्य करती है। आम इंसान उसे सुनकर समझ पाएंगे कि मूक व बधिर व्यक्ति क्या कहना चाह रहा है।

छात्रों की ऐसे मिली प्रेरणा
छात्रों ने बताया कि स्मार्ट दस्तानों का विचार कैम्ब्रिज मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट के 2 छात्रों द्वारा बनाए गए उपकरण से आया है। एक ऐसा ही दस्ताना और उस में एम्बेडेड अमेरिकी सांकेतिक भाषा के रूप में किया है लेकिन उन्होंने महंगा मॉडल विकसित किया है। भारत में 12.3 मिलियन मूक और बधिर लोग हैं। इन लोगों और भारत में सामान्य जनता के बीच संचार के खाई को पाटने के लिए हम एक दस्ताना जो भारतीय सांकेतिक भाषा का उपयोग करता है बनाया है।
इनख़बर

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टीचर के साथ इंजीनियरिंग के विद्यार्थी
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