गुरुग्राम। गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल की एक पूर्व छात्रा इतिशा नागर ने स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ एक खुला खत लिखा है। जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं।
गुरुग्राम रेयान स्कूल की पूर्व छात्रा इतिशा नागर ने स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ एक ओपन लेटर लिखा है। इतिशा ने अपने खत में लिखा- इतिशा ने लिखा कि उन्होंने स्कूल में 13 सालों तक पढ़ाई की है, स्कूल से उनकी कई अच्छी यादें जुड़ी हैं, वह अब भी अपने स्कूल के कई शिक्षकों के संपर्क में हैं। उन्होंने लिखा- शर्मनाक है कि आपके स्कूल में ही बच्चे की जान चली जाती है और स्कूल के सीईओ रायन पिंटो कहते हैं कि इस मामले में वह खुद भी शिकार हुए हैं। जब स्कूल में पहली बार एक बच्चे की स्विमिंग पूल में डूबने से मौत होती है तो प्रिंसिपल बच्चे पर दोष मढ़ती हैं कि वह एक्टिव ज्यादा था। इंटरनेशनल स्कूलिंग हमसे पैसे के साथ-साथ जान भी लेने लगी है, लेकिन क्या हमें उच्चस्तर का ज्ञान मिलता है।
स्कूल में हिटलर गिरी
इतिशा ने आगे लिखा- स्कूल में हिटलर गिरी चलती है। शिक्षकों और छात्रों को वहीं सोचने और समझने का दबाव डाला जाता था जो स्कूल मैनेजमेंट चाहता है। रेयान के मालिक चापलूसों को पसंद करते हैं जबकि व्यक्तिगत विचार रखने वाले व्यक्तियों को वो पसंद तक नहीं करते।
… ताकि उन्हें फिल्मों में ब्रेक मिल जाए
इतिशा ने खत आगे लिखा- स्कूल में एनुअल डे और स्पोर्ट्स डे बंद करवाकर हर साल थिएटर फेस्टिवल मनाया जाता था। चाहे पढ़ाई प्रभावित हो लेकिन फेस्टिवल में हर छात्र को भाग लेना जरुरी होता था। दरअसल थिएटर फेस्टिवल के जरिए रेयान पिंटो बॉलीवुड में कदम रखना चाहती थे ताकि, उन्हें फिल्मों में ब्रेक मिल जाए।
बीजेपी में शामिल होने के लिए दबाव डाला
इतिशा ने लिखा- दो साल पहले स्कूल मैनेजमेंट ने सभी टीचर्स और पैरेंट्स को एसएमएस भेजा और बीजेपी में शामिल होने के लिए दबाव डाला। कुछ टीचर्स ने दावा किया था कि इसके लिए उनकी सैलरी भी रोक दी गई थी। दरअसल ग्रेस पिंटो की नजर राज्यसभा सीट पर थी। की दावेदारी को मजबूत करना।
खास धर्म पर डाला जाता था जोर
इतिशा यहीं नहीं रुकी उन्होंने आगे लिखा- स्कूल में ईसाई धर्म पर जोर दिया जाता था। पुराने दिनों को याद करते हुए इतिशा ने लिखा- एक दिन सभी क्लासरूम के बाहर लगे क्रिएटिविटी बोर्ड को हटाकर बाइबल के वर्सेस वाले बोर्ड लगवा दिए गए। उन्हें बाइबल के वर्स पढ़ना अच्छा लगता था लेकिन बच्चों से क्रिएटिविटी छीन ली गई। इतना ही नहीं कुछ दिन बाद ही म्यूजिक रूम से सरस्वती की मूर्ति गायब हो गई।
‘…नहीं तो बंद कर दें अपने स्कूल’
आखिर में इतिशा ने लिखा- यह मायने नहीं रखता कि आप हर साल कितने नए स्कूल खोलते हैं, लेकिन यह जरूरी है कि आपके स्कूल शिक्षा के मूल उद्देश्य को पूरा करें। जिम्मेदार और खुली सोच वाले नागरिक बनाएं। आप अपने स्कूल में हमारे बच्चों की सुरक्षा का ख्याल रखें। नहीं तो बंद कर दें अपने ये स्कूल।
कमला नेहरु कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं इतिशा
बता दें कि इतिशा वर्तमान में एक साइकोलॉजिस्ट हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय के कमला नेहरु कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।