शहीद की पत्नी ने लिखा- पति की वर्दी अभी तक नहीं धोई

akshay

बेंगलुरु। देश की सरहद पर एक जवान के प्राणों की आहुति से बड़ा कोई बलिदान नहीं हो सकता। मातृभूमि की रक्षा के लिए कहीं कोई मां अपना बेटा अर्पित कर देती है तो कहीं परिवारों में बच्चों के सिर से पिता का बेवक्त साया उठ जाता है। उनके घरों में क्या बीतती होगी, जब हमारे जवान और उनके बेटे, पति और पिता तिरंगे में लिपट कर आते हैं, सोचा है।

जी हां, कुछ ऐसे ही भावुक पल अपने फेसबुक पोस्ट पर शेयर किए हैं शहीद मेजर अक्षय गिरीश कुमार की पत्नी संगीता ने। जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में हुए आतंकी हमले में मेजर गिरीश देश के लिए शहीद हो गए। उनके साथ सात जवान भी शहीद हुए। मेजर अक्षय के शहीद होने के बाद उनकी पत्नी संगीता ने फेसबुक पर भावुक पोस्ट लिखा है।

akshay1

‘2009 में उसने मुझे प्रपोज़ किया था’
संगीता ने अपनी लव स्टोरी से लेकर अपने पति के साथ बिताए अंतिम पलों को भावुक ढंग से फेसबुक पेज BeingYou पर शेयर किया है। संगीता ने लिखा- ‘2009 में उसने मुझे प्रपोज़ किया था, हम चंडीगढ़ आए थे। मुझे नहीं मालूम था कि क्या होने वाला है। वहां से हम शिमला के लिए घूमने निकले लेकिन वहां कर्फ्यू लगा हुआ था। जो होटल बुक किया हुआ था वो भी जल्दी बंद हो गया था। इतना ही नहीं वो अंगूठी भी भूल गए थे। ऐसे में अक्षय घुटनों के बल बैठ गए और जेब में रखी लाल रंग की पेन ड्राइव से प्रपोज किया।’

akshay2

हम दोनों ने मिलकर अपनी दुनिया बनाई थी
इसके बाद 2011 में हमारी शादी हुई, मैं पुणे आ गयी। दो साल बाद नैना का जन्म हुआ। उसे लम्बे समय तक काम के सिलसिले में बाहर रहना पड़ता था। हमारी बच्ची अभी छोटी थी, इसलिए हमारे परिवारों ने कहा कि मैं अपनी बेटी के साथ बेंगलुरु आ जाऊं। मैंने फिर भी वहीं रहना चुना जहां अक्षय था। मैं हमारी उस छोटी सी दुनिया से दूर नहीं जाना चाहती थी, जो हम दोनों ने मिल कर बनायी थी।

akshay3

मेरी जिंदगी सही मायनों में हंसती-खेलती थी
संगीता ने आगे लिखा- उसके साथ मेरी जिंदगी सही मायनों में हंसती-खेलती थी। वो उसके साथ नैना को लेकर 2011 फीट पर जाना, स्काईडाइविंग करना, हमने सबकुछ साथ किया। साल 2016 में उसे नगरोटा भेजा गया। हमें अभी वहां घर नहीं मिला था, इसलिए हम ऑफिसर्स मेस में रह रहे थे।

akshay4

…जब गोलियों की आवाज़ से हमारी आंख खुली
29 नवम्बर की सुबह 5 बजकर 30 मिनट अचानक गोलियों की आवाजज से हमारी आंख खुली, हमें लगा कि ट्रेनिंग चल रही है। तभी ग्रेनेड की आवाज़ आने लगी। 5 बजकर 45 मिनट पर अक्षय के एक जूनियर ने आकर बताया कि आतंकियों ने तोपखाने की रेजिमेंट को बंधक बना लिया है। उसके मुझसे आखरी शब्द थे ‘तुम्हें इसके बारे में लिखना चाहिए।‘

akshay5

हमें लगातार फायरिंग की आवाज़ आ रही थी
सभी बच्चों और महिलाओं को एक कमरे में रखा गया था। संतरियों को कमरे के बाहर तैनात किया गया था, हमें लगातार फायरिंग की आवाज़ आ रही थी। इस दौरान, मैंने अपनी सास और ननद से बात की। 8 बजकर 9 मिनट पर उसने ग्रुप चैट में मेसेज किया, कि वो लड़ाई में है।

akshay6

‘हमने अक्षय को खो दिया है…’
शाम 6 बजकर 15 मिनट कुछ अफसप मुझसे मिलने आये और कहा, ‘मैम हमने अक्षय को खो दिया है। सुबह 8 बजकर 30 मिनट अक्षय शहीद हो गए। मेरी दुनिया मानो वहीं थम गयी। जाने क्या-क्या ख्याल
मेरे मन में आते रहे। कभी लगता कि काश मैंने उसे कोई मेसेज कर दिया होता…काश जाने से पहले एक बार उसे गले लगा लिया होता…काश एक आखिरी बार उससे कहा होता कि मैं उससे प्यार करती हूं।

वो पल…जब मैं मैं बच्चों की तरह बिलखती रही…
अपने भावुक पोस्ट में संगीता ने आगे लिखा- चीज़ें वैसी नहीं होतीं, जैसा हम सोचते है। मैं बच्चों की तरह बिलखती रही, जैसे मेरी आत्मा के किसी ने टुकड़े कर दिए हों। अब मैं बच्चे की तरह बहुत उदास हो गयी हूँ, जैसे मेरी रूह को मेरे शरीर से जुदा कर दिया हो।

akshay7

उसकी वर्दी मैंने आज तक नहीं धोयी…
दो और सिपाही भी उस दिन शहीद हो गए थे। मुझे उसकी वर्दी और कपड़े मिले। एक ट्रक में वो सब था जो इन सालों में हमने जोड़ा था। लाख नाकाम कोशिशें कीं अपने आंसुओं को रोकने की। उसकी वर्दी मैंने आज तक नहीं धोयी है। जब उसकी बहुत याद आती है, तो उसकी जैकेट पहन लेती हूं। उसमें उसे महसूस कर पाती हूं। जिसमें अभी भी अक्षय की खुशबू आती है।

akshay9

‘पापा आसमान में एक तारा बन गए हैं…’
संगीता ने लिखा- शुरू में तीन साल की मासूम नैना को समझाना मुश्किल था कि उसके पापा को क्या हो गया, लेकिन फिर उससे कह दिया कि अब उसके पापा आसमान में एक तारा बन गए हैं।

आंखों में आंसू,  फिर भी मुस्कुराती हूं…
आज हमारी जमायी चीज़ों से ही मैंने एक दुनिया बना ली है, जहां वो जीता है, मेरी यादों में, हमारी तस्वीरों में। आंखों में आंसू,  फिर भी मुस्कुराती हूं। जानती हूं कि वो होता तो मुझे मुस्कुराते हुए ही देखना चाहता। कहते हैं न, अगर आपने अपनी आत्मा को चीर देने का दर्द नहीं सहा, तो क्या प्यार किया। दर्द तो बहुत होता है पर हां, मैं उससे हमेशा इसी तरह प्यार करूंगी।

बता दें कि मेजर का परिवार कश्मीर के नगरोटा में रहता था। मूल रुप से वे बेंगलुरु के कोरमंगला के रहने वाले थे। दोनों की चार साल की बेटी भी है। इसके साथ ही शहीद अक्षय के पिता वायुसेना के पायलट थे।

akshay10 akshay11

Print Friendly, PDF & Email

Related posts

Leave a Comment