नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी को बीएचयू मामले पर पत्र लिखकर सख्त एतराज जताया है। डीसीडब्ल्यू ने कहा कि उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में लड़कियों ने अपनी सुरक्षा का मुद्दा उठाया, तो उनको सुरक्षा देने के बजाए उन पर लाठीचार्ज किया गया। यह बहुत दुखद घटना है।
आयोग ने पत्र में कहा है कि लड़कियां को गांव-कस्बों और छोटे-छोटे शहरों में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। परिवारों को अपनी सुरक्षा का भरोसा दिलाकर वे अपना भविष्य बनाने के लिए बीएचयू, डीयू, जेएनयू जैसी यूनिवर्सिटीज में पढ़ने के लिए आती हैं। विश्वविद्यालयों में ही हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं रहेंगी, तो बेटियां पढ़ने के लिए बाहर कैसे निकलेंगी। ऐसी स्थिति में सरकार का बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान कैसे सफल होगा।
डीसीडब्ल्यू ने पीएम को लिखे पत्र में इस बात का भी जिक्र किया है कि बीएचयू में लड़कियों के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी उनके साथ कई मर्तबा ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। उन्होंने इसकी शिकायत विवि के कुलपति से की थी, लेकिन उन्होंने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। प्रदर्शन से एक दिन पहले भी कैंपस के अंदर लड़की के साथ छेड़छाड़ की गई और शिकायत करने के बाद भी बीएचयू प्रशासन ने उस समय कोई कार्रवाई नहीं की।
आयोग ने लिखा कि लड़कियों की शिकायत पर जब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सुनवाई नहीं की, तो वे अपनी आवाज यूनिवर्सिटी प्रशासन तक पहुंचाने के लिए धरने पर बैठ गई, लेकिन उनकी शिकायतों का समाधान करने के बजाए उन पर लाठियां बरसाई गई। डीसीडब्ल्यू ने लिखा है कि इस घटना से मन कांप उठता है कि आखिर इतनी बेरहमी से कैसे और क्यों निर्दोष लड़कियों पर लाठियां बरसाई गई। बहुत शर्म की बात है कि बीएचयू के वीसी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की बजाए उल्टा लड़कियों को ही जिम्मेदार ठहराया और मीडिया में गैर संवेदनशील बयान दिए।
‘अन्य कॉलेजों व यूनिवर्सिटी में भी हालात अच्छे नहीं’
आयोग ने लिखा है कि एक यूनिवर्सिटी के वीसी के ऐसे बयानों से पूरे देश की छात्राओं का मनोबल टूटता है। बार-बार लड़कियों के साथ छेड़छाड़ सिर्फ बीएचयू की एक घटना नहीं है। पिछले एक सप्ताह में दिल्ली के दो कॉलेजों में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर बड़ी चूक हुई है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के आंबेडकर कॉलेज के करीब 500 स्टूडेंट्स कैंपस के आस पास सुरक्षित माहौल की मांग को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंच गए, क्योंकि इस कॉलेज के कैंपस के पास आए दिन लड़कियों के साथ छेड़छाड़ और छीना झपटी की घटनाएं होती रहती हैं। दूसरी घटना दिल्ली यूनिविर्सिटी कैंपस के अंदर खालसा कॉलेज में हुई, जहां कुछ लोगों ने गर्ल्स हॉस्टल में घुसने की कोशिश की।
‘डीयू समेत देश भर में हो रहा लड़कियों से भेदभाव’
डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल जयहिंद ने कहा कि डीयू समेत देश भर की यूनिवर्सिटी में लड़कियों की सुरक्षा के मुद्दे पर उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। यह भी एक अहम मुद्दा है। दिल्ली के कई विश्वविद्यालय व कॉलेज लड़कियों के प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार कर रहे हैं। दिल्ली में स्थित कई यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में लड़कियों के हॉस्टल का समय लड़कों के हॉस्टल के समय से अलग है। जब दिल्ली महिला आयोग ने लड़कियों के साथ हो रहे भेदभाव का कारण पूछा, तो कई यूनिवर्सिटी व कॉलेजों ने तर्क दिया कि लड़कियों की सुरक्षा के चलते उन्हें लड़कों की तुलना में जल्दी अपने हॉस्टलों में लौटने का नियम बनाया गया है। स्वाति ने कहा कि बड़े दुख की बात है कि आजादी के 70 साल बाद भी लड़कियों के साथ शिक्षा के सर्वोच्च संस्थानों में भेदभाव हो रहा है।