…तो इस फैक्टर की वजह से होती है डायबिटीज

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डायबिटीज की बीमारी का नाम सुनकर हर कोई सहम जरूर जाता है क्योंकि ये ऐसी बीमारी है जो अन्य दूसरी बीमारियों की जन्मदाता है। इससे बचने के लिये लोग अलग-अलग तरह के जतन करते हैं।

मोटापे के दौरान जो क्रोनिक इनफ्लेमेशन पैदा होता है वह डायबिटीज-2 के लिये रिसपांसिबल होता है जिस दौरान हमारे शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। ऐसा होता क्यों है इस बात का पता लगाने में रिसर्चर्स जुटे हुए हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के सैंट डियागो मेडिकल स्कूल के रिसर्चर्स ने इसमें एक्सोसोम (Exosomes)को जिम्मेदार पाया है।

एक्सोसोम जब कोशिकाओं के बीच मूव करना शुरू करते हैं तो हमारे शरीर में इंटरसेल्युलर कम्युनिकेशन के जरिये मेटाबोलिजम असंतुलित हो जाता है, जिसके कारण डायबिटीज होती है। एक्सोसोम के कारण जो इनफ्लेमेशन उत्पन्न होता है वह सबसे पहले वसा उतक को प्रभावित करता है।

रिसर्च में पाया गया कि फ्लोरसेंटली सेल्स के जरिये हम एक्सोसोम के फ्लो को बॉडी में देख सकते हैं। जो कि माइक्रोआरएनए को कैरी करता है वह वसा उतक और लीवर से होकर गुजरता है। प्राथमिक तौर पर इनफ्लेमेशन वसीय उतक में होता है क्योंकि मोटापे के दौरान वसीय उतक का 40 प्रतिशत हिस्सा केवल मॉरफेज से भरा होता है जो कि एक ऐसा इम्यून सेल होता है जो उतकों में इनफ्लेमेशन उत्पन्न करता है।

इस दौरान मॉरफेज से एक्सोसोम उत्सर्जित होता है। इसी एक्सोसोम में माइक्रोआरएनए होता है जोकि बॉडी में मौजूद मैसेंजर सेल आरएनए से मिलकर उसके साथ बाइंड हो जाता है। जिसके बाद यह प्रोटीन के बारे में जानकारी देने वाले आरएनए को निष्क्रिय कर देता है। जिसके कारण हम यह कह सकते हैं कि यह माइक्रोआरएनए हमारे शरीर में प्रोटीन को बनने से रोक देता है।

इसके लिये माइक्रोआरएनए-155 को जिम्मेदार माना गया है। जोकि हमारे शरीर में पाये जाने वाले प्रोटीन पीपीएआरगामा को बनने से रोक देता है।

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