चित्रकूट। पाठा के बीहड़ में खौफ की दास्तां लिख कर फिजाओं में दहशत का ज़हर घोलने वाले सात लाख के इनामी डकैत बबुली कोल के खात्में के लिए यूपी और एमपी की ख़ाकी ने साझा अभियान शुरू करने की रणनीति बनाई है। सीमाई बंदिशों को दरकिनार करते हुए दस्यु गिरोह के सफाए के लिए जल्द ही सर्च ऑपरेशन शुरू करने की योजना है।
कुख्यात दस्यु की लोकेशन जिस भी राज्य की खाकी पाएगी और सामना हो गया तो उसे उसके अंजाम तक पहुंचा दिया जाएगा। पाठा के बीहड़ से ऐसे कई जंगली रास्ते निकलते हैं जो मध्य प्रदेश में जाकर मिलते हैं और वहां से गैंग किसी भी जगह पर भाग या छिप सकने में समर्थ हो जाते हैं।
दस्यु को मदद करने वालों को चिह्नित कर रही पुलिस
ऐसे में अब गिरोह की घेरेबंदी के लिए यूपी पुलिस ने एमपी पुलिस से हांथ मिलाते हुए सीमाई इलाकों के उन मददगारों को चिन्हित करने का काम शुरू कर दिया है जो गैंग को इलाज दैनिक मदद से लेकर अन्य सुविधाएं मुहैया कराते हैं।
बबुली कोल पुलिस के लिए सिरदर्द
बीती 24 अगस्त को चित्रकूट के मानिकपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत औदर जंगल में दस्यु बबुली कोल गैंग से पुलिस मुठभेड़ और उसमे शहीद हुए एसआई जेपी सिंह और घायल एसओ वीरेंद्र त्रिपाठी के बाद ख़ाकी का जख्म अभी भी हरा है। हालांकि उसके ठीक दस दिन बाद 3 सितम्बर को गैंग के हार्डकोर मेंबर दस्यु शारदा कोल को पुलिस ने मुठभेड़ में ढेर कर इसे शहीद एसआई की शहादत का बदला बताया लेकिन दस्यु सरगना बबुली अभी तक खाकी की नजरों से ओझल है और बीहड़ में आराम फ़रमा रहा है।
नहीं मिल पा रहा है लोकेशन
यूपी की ख़ाकी के लिए खुला चैलेंज बना खूंखार डकैत बबुली कोल बीहड़ के किन रास्तों से पाठा में विचरण कर रहा है यह अभी तक पुलिस को पता नहीं चल पाया है। विगत एक वर्ष के अंदर बीहड़ में कई मुठभेड़ों को अंजाम दे चुका दस्यु बबुली पुलिस की राडार से पूरी तरह गायब है। बीते 24 अगस्त की मुठभेड़ के दौरान पुलिस की तरफ से लगातार यह कहा जा रहा है कि दस्यु बबुली और उसका दाहिना हांथ लवलेश दोनों घायल हो गए थे लेकिन दोनों घायल डकैतों की लोकेशन ट्रेस करने में ख़ाकी को अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है।
पुलिस को मिले कुछ सुराक !
उधर बीहड़ के सूत्रों के मुताबिक चित्रकूट पुलिस को यह जानकारी मिली है कि घायल डकैत मध्य प्रदेश के सतना जनपद में कुछ झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवा कर बीहड़ में आराम फ़रमा रहे हैं। चित्रकूट का आधा हिस्सा यूपी तो आधा एमपी के सतना जनपद में आता है और बीहड़ के रास्तों से होते हुए आसानी से दस्यु गिरोह सीमा लांघ पुलिस को चकमा देते हुए बीहड़ में विलीन हो जाते हैं। चित्रकूट पुलिस को मिले इस इनपुट के बाद पुलिसिया मुखबिरों को सक्रीय कर दिया गया है। उधर जनपद की ख़ाकी ने सतना (मध्य प्रदेश) पुलिस से संपर्क साध दस्यु बबुली के खिलाफ संयुक्त अभियान की रणनीति बनाई है।
आड़े नहीं आएगी सीमाई बंदिश
पाठा के बीहड़ों में बबुली की लोकेशन ट्रेस करने में यूपी पुलिस नाकाम साबित हुई है अभी तक और उधर बीहड़ के दुर्गम रास्तों का फायदा उठाकर गैंग कभी इस पार यूपी में तो कभी उस पार एमपी में डेरा डाल लेता है। कुछ ऐसी ही सूचना चित्रकूट पुलिस को मिली जिसपर चित्रकूट एसपी प्रताप गोपेंद्र ने सतना एसपी राजेश हिंगड़कर से संपर्क साध अपनी अपनी टीमों के साथ पाठा के मारकुंडी और धारकुंडी के जंगल में साझा सर्च ऑपरेशन चलाते हुए कॉम्बिंग की। एमपी पुलिस ने यूपी की ख़ाकी के साथ इस खूंखार डकैत के खात्में के लिए सीमाई बंदिशों को आड़े न आने देने की बात कही।
चित्रकूट एसपी प्रताप गोपेंद्र ने बताया कि सतना पुलिस से संपर्क साध गैंग के सफाए के लिए साझा अभियान चलेगा और दोनों राज्यों की सीमाएं भी अब रुकावट नहीं उतपन्न कर पाएंगी। एसपी के मुताबिक सतना में भी ऐसे मददगारों को चिन्हित करने का अभियान शुरू है जो डकैतों से संपर्क रख उनकी किसी भी प्रकार से मदद करते हैं। उधर सतना एसपी राजेश हिंगड़कर का कहना है कि डकैत, डकैत होता है और जब उसकी कोई सीमा निर्धारित नहीं तो पुलिस के लिए भी कोई बंदिश नहीं। दोनों जनपदों की पुलिस संयुक्त रूप से सूचनाओं का आदान प्रदान करते हुए गैंग के ख़िलाफ साझा अभियान चलाएगी।
तो बबुली को मिल गया इलाज !
अगस्त में हुई मुठभेड़ में दस्यु सरगना के घायल होने की सूचना पुलिस ने ही बताई थी और गिरफ्त में आए डकैतों के माध्यम से काफी हद तक इसकी तस्दीक भी पुलिस ने की थी लेकिन इन सबके बीच घायल डकैत बबुली और उसके साथी लवलेश को ट्रेस कर पाने में खाकी नाकाम हो गई। सूत्रों के मुताबिक दोनों डकैतों को बीहड़ में इलाज की सुविधा मिल गई और उनके जख्म भर रहे हैं।
पुलिस को भी इस बात की सूचना है कि कुछ झोलाछाप डॉक्टरों ने डकैतों का इलाज किया और जंगली रास्ते से डकैत सतना की तरफ भाग वहां के किसी अपने मददगार झोलाछाप चिकित्सक से इलाज करवा सकते हैं, तभी इसी इनपुट पर चित्रकूट एसपी ने सतना एसपी से संपर्क साध साझा अभियान की रणनीति बनाई है।