इलाहाबाद। संगम के शहर इलाहाबाद के लोग 26 नवम्बर को अपना नया मेयर चुनेंगे। यहां की सीट को जीतने के लिए सियासी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। इलाहाबाद की मेयर की सीट सियासी पार्टियों के लिए इसलिए भी बेहद अहम है क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री समेत कई नामचीन हस्तियां यहां की मेयर रह चुकी हैं।
यूपी में अगले महीने 16 मेयर चुने जाएंगे लेकिन इलाहाबाद का किला फतह करने के लिए सियासी पार्टियां ख़ास रणनीति तैयार करने में जुट गई हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्य प्रकाश मालवीय, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी पीडी टंडन और यूपी की मौजूदा सरकार की इकलौती महिला कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी भी यहां की मेयर रह चुकी हैं।
नेहरु और शास्त्री रह चुके है यहां के मेयर
पंडित नेहरू यहां 1923 में, लाल बहादुर शास्त्री 1925 में शहर के प्रथम नागरिक बने थे। 1960 में यहां नगरमहापालिका का गठन और 27 वार्डों में दो-दो सभासद चुने गए। मौजूदा समय में यहां 80 वार्ड हैं। इलाहाबाद शहर में नगर निगम क्षेत्र में आने वाले साढ़े 10 लाख से ज़्यादा वोटर 26 नवम्बर को अपना नया मेयर और पार्षद चुनेंगे। वोटिंग के लिए 216 पोलिंग सेंटर और 836 पोलिंग बूथ बनाए जाने हैं।
बीजेपी को इस सीट पर कभी नहीं हुई जीत हासिल
पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक अनंत राम कुशवाहा के मुताबिक़ सियासी पार्टियों के लिए यह सीट इसलिए बेहद अहम है क्योंकि यहां के चुने हुए मेयर प्रदेश व देश की राजनीति में भी अपना ख़ास मुकाम बनाते हैं। केंद्र और यूपी की सत्ता पर काबिज बीजेपी इस सीट पर कभी जीत हासिल नहीं कर सकी है, ऐसे में डिप्टी सीएम केशव मौर्य और यूपी के तीन कैबिनेट मंत्रियों वाले इस शहर में बीजेपी की साख इस बार दांव पर लगी हुई है। टिकट के लिए बीजेपी समेत सभी पार्टियों में मारामारी की स्थिति है।
सीट पर उम्मीदवार तय करना बड़ी चुनौती
वहीं, पिछले चुनाव में बीएसपी के समर्थन से मेयर चुनी गईं निर्दलीय अभिलाषा गुप्ता अब बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, नंद गोपाल नंदी व रीता जोशी इलाहाबाद से ही हैं। ऐसे में इलाहाबाद में कमल खिलाना पार्टी के दिग्गज नेताओं के लिए बड़ी चुनौती होगी। वैसे बीजेपी के लिए जीत से पहले पार्टी उम्मीदवार तय करना पहली बड़ी चुनौती है।
बागी बिगाड़ सकते है खेल
इलाहाबाद में बीजेपी के टिकट के लिए 52 लोगों ने दावेदारी की है, जबकि 80 वार्ड के पार्षद के लिए 14 सौ 50 लोगों ने आवेदन किया है। टिकट न मिलने की सूरत में पार्टी में बगावत होना व घमासान मचना भी तय है। बीजेपी को सपा-कांग्रेस व बीएसपी से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। वैसे अंतिम समय में सीधा मुकाबला बीजेपी और सपा में ही होने की उम्मीद है। कई निर्दलीय व बागी दूसरे लोगों का खेल बिगाड़ सकते हैं।
बीजेपी के लिए नाक का सवाल
यह पहला मौका है जब सभी बड़ी पार्टियां अपने सिम्बल पर मेयर व पार्षद का चुनाव लड़ेंगी। विपक्षी पार्टियां जहां विधानसभा चुनाव की हार का तिलिस्म तोड़ने की कोशिश में हैं। वहीं डिप्टी सीएम व कई कैबिनेट मंत्रियों की साख पहली बार कमल खिलाने के दांव पर हैं। सियासी पार्टियों की कोशिश कितनी कामयाब होगी, इसका फैसला एक दिसम्बर को होगा।
मेयर चुनाव के ठीक बाद डिप्टी सीएम केशव मौर्य के इस्तीफे से खाली हुई फूलपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव भी होना है। ऐसे में यह चुनाव बीजेपी के लिए नाक का सवाल बन गया हैं।