कानपुर देहात। 72 वर्षीय रामकली दिव्यांग हैं। पति की मौत के बाद अपने पुत्र राकेश व उसकी पत्नी व दो नाती के साथ गुजर बसर करती हैं। पीएम मोदी से प्रेरित हुई दिव्यांग रामकली ने अपने गांव को स्वच्छता अभियान के तहत ओडीएफ मुक्त बनाने के लिए एक डंडे का सहारा लिया। और ग्रामीणों को खेतों में जाने से रोका।
रामकली ने ग्रामीणों को रोककर स्वच्छता अभियान में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई, जिसके फलस्वरूप उन्हें लखनऊ में सहायता राशि व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। वहीं, वृद्धा आज खुद के घर मे शौंचालय को लेकर बड़ी जंग लड़ रही हैं। तहसील से लेकर जिले के आला अधिकारियों से शिकायत की लेकिन उसे शौचालय नहीं मिल रहा है।
गिरने के कारण रामकली दिव्यांग हो गईं
रामकली का आरोप है कि जब ग्राम प्रधान कैलाश कटियार से कहा तो उन्होंने शौचालय की जगह पर चकरोड व श्रमदान की बात कहकर टरका दिया। शौचालय न बनवाए जाने का अल्टीमेटम दे डाला। रामकली कुछ वर्ष पहले गिरने के चलते कूल्हे व पैर में चोट आने से पैरो से चलने असमर्थ हो गयी, लेकिन स्वच्छता के प्रति जागी अलख उन्हें प्रेरणा दे गई। वह एक लाठी के सहारे गांव की कुछ अन्य महिलाओं भोर पहर 4 बजे से सुबह 8 बजे तक गांव के किनारे बैठने लगी और खेंतो कि तरफ शौंच के लिए जाने वाले लोगों को रोकने लगी।
रामकली के प्रयासों से खुले में शौच मुक्त हुआ गांव
रामकली खुले में शौंच जाने से मना करते हुए घर शौंचालय बनवाने के लिए प्रेरित करने लगी। हालांकि उनका कहना है कि गांव के कुछ लोग हंसी खिल्ली उड़ाकर वापस लौट जाते थे, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और आज रोहिनी गांव लगभग ओडीएफ मुक्त बन गया है। इसी प्रकार उनकी टोली ने अन्य गांवों में भी जाकर खुले में शौंच जाने से लोगों को रोक दिया। रामकली कहती हैं कि इस कार्य में बहुत अड़चनें आयीं, लेकिन अंततः बात लोगों के समझ में आ गयी।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया था सम्मानित
प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को सफल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी प्रदेश के गांवों को ओडीएफ बनाने के लिए जिलों के अधिकारियों को सख्त हिदायत दी थी। इसके चलते गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर 2017 को योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में कुछ ऐसे सराहनीय कार्य करने वाले लोगों को बुलाकर सम्मानित किया था। इस सम्मान समारोह में कानपुर देहात से रामकली को ओडीएफ में सक्रिय भागीदारी को लेकर मुख्यमंत्री व राज्यपाल ने 21 हजार रुपये की चेक प्रमाण पत्र व शाल पहनाकर प्रोत्साहित किया था।
तहसील में भी नहीं सुनी गई शिकायत
दूसरों को शौंचालय का पाठ पढ़ाने वाली रामकली आज खुद के घर मे शौंचालय बनवाने के लिए एक बड़ी जंग लड़ रही हैं। दरअसल, गांवों के ग्रामीणों को शौचालय के लिए प्रेरित करने वाली वृद्धा के घर का शौंचालय जर्जर होकर गिरने की कगार पर है। रामकली का आरोप है कि शौचालय योजना के तहत जब रामकली ने ग्राम प्रधान से शौचालय देने की बात कही तो कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने तहसील में शिकायत की, लेकिन हताशा ही हाथ लगी।
जनसभा में सीएम योगी से की थी मुलाकात
जब वृद्धा अपने अधिकार के लिए अड़ गयी तो प्रधान ने न बनवाने का अल्टीमेटम दे दिया और संघर्षों से लड़ने वाली मुख्यमंत्री की चहेती रामकली आज भी शौंचालय के लिए दर-दर भटक रही है। मुख्यमंत्री के हाथों से पुरस्कृत रामकली ने जब खुद के शौचालय के काफी प्रयास किये और उन्हें भटकना पड़ा तो उन्होंने कई बार प्रधान अधिकारियों से भी शिकायत की लेकिन नतीजा शून्य रहा। सिकन्दरा उपचुनाव में जनसभा करने राजपुर आये मुख्यमंत्री से मिलने रामकली पहुंच गयी तो सुरक्षा व्यवस्था में लगी पुलिस ने उन्हें रोक दिया।
सीएम ने दिया था आश्वासन
रामकली ने कहा मुख्यमंत्री जी से कह दो वृद्धा रामकली मिलना चाहती है। सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री ने उन्हें स्वयं बुलाया तो रामकली ने उनके सिर पर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद दिया और योगी ने उनकी समस्या सुन निराकरण के लिए कहा। बावजूद इसके रामकली उस आश्वासन को लेकर अधिकारियों की चैखट की धूल फांक रही है।
मुख्यमंत्री से लगाई ऋण की गुहार
एक छोटी सी दुकान से घर का गुजर-बसर कर रहे पुत्र राकेश की दुकान में करीब 2 वर्ष पूर्व 2015 में आग लग गयी थी। जिसके बाद घर की हालत नाजुक हो गयी, लेकिन मां रामकली की प्रेरणा से जैसे-तैसे गुजर बसर होने लगा। परिवार बढ़ने पर आज रामकली का परिवार समस्याओं से ग्रसित हो गया है। इसलिए रामकली ने मुख्यमंत्री से कोई छोटा व्यापार करने के उद्देश्य से ऋण की गुहार लगाई है।