ब्रेस्ट में ब्लड क्लॉट को मेडिकल भाषा में ब्रेस्ट हेमाटोमा कहा जाता है और इसके कई कारण हैं।
ब्रेस्ट हेमाटोमा तब होता है जब ब्रेस्ट के टिश्यूज़ में खून निकलने लगता है जिसकी वजह से रक्त का जमाव हो जाता है। इसका प्रमुख कारण खेल के दौरान कोई गंभीर चोट या कार दुर्घटना हो सकती है। कमजोर रक्त वाहिकाओं पर कोई सख्त दबाव बनने से भी हेमाटोमा हो सकता है।
कभी-कभी ब्रेस्ट कैंसर में ब्रेस्ट सर्जरी के बाद भी क्लॉट बन सकता है। हेमाटोमा किसी कॉस्मेटिक सर्जिकल प्रोसीजर जैसे ब्रेस्ट रिडक्शन या ऑग्मेंटन सर्जरी की वजह से भी हो सकता है।
ब्रेस्ट हेमाटोमा को पहचानें
रंग के एक उग्र रूप में आप हेमाटोमा को देख सकते हैं। ब्रेस्ट में छोटा सा हेमाटोमा यानि ब्लड क्लॉट हो सकता है और ये छोटी सी चैरी जितने आकार का होता है। मध्यम आकार का ब्लड क्लॉट प्लम के साइज़ का हो सकता है। बड़ा ब्रेस्ट ब्लड क्लॉट अंगूर जितना हो सकता है।
हेमाटोमा का पता लगाने के लिए मैम्मोग्राम किया जाता है। मैम्मोग्राम के परिणाम में ब्रेस्ट में क्लॉट को साफ देखा जा सकता है।
ब्रेस्ट में ब्लड क्लॉट का खतरा किसे होता है
ब्रेस्ट कैंसर से ग्रस्त लोगों में ब्लड क्लॉट का खतरा ज्यादा रहता है। कैंसर के ईलाज और कैंसर की वजह से ब्लड क्लॉट बनने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। अगर ब्रेस्ट कैंसर अन्य हिस्सों में भी फैल रहा है तो इससे भी ब्लड क्लॉट बनने का खतरा बढ़ जाता है।
ब्लड क्लॉट हानिकारक होता है लेकिन इसका ईलाज संभव है। इसके लक्षण और संकेत दिखने के बाद आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
ब्लड क्लॉट के लक्षण
अगर आपको नीचे बताए गए कोई भी लक्षण और संकेत नज़र आजे हैं तो आपको जल्द से जल्द अपने डॉक्टर या सेहत विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। लक्षण इस प्रकार हैं :
बिना वजह खांसी होना
सांस की कमी
छाती में कड़ापन आना
दर्द, गर्म लगना, सूजन और पैरों, जांघों पर लालपन होना।
कीमोथेरेपी को प्रशासित करने के लिए डाली गई केंद्रीय रेखा में सूजन या कोमलता – हाथ, गर्दन के पास या छाती के पास ऐसा होना।
ब्लड क्लॉट बनना
सामान्य ब्लड क्लॉट बनने की वजह कोई चोट के अलावा अन्य कोई कारण भी हो सकता है। इसके पीछे कोई और वजह भी हो सकती है। शरीर में आंतों और नसों में क्लॉट बन सकता है। कई बार क्लॉट शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैलना लगता है। जब ब्लड क्लॉट की वजह से रक्त वाहिकाओं में खून रूक जाता है तो ऐसे में ब्लड क्लॉट हानिकारक होता है जिससे पूरे शरीर के कई हिस्सों में रक्त प्रवाह रूक जाता है।
कैंसर के मरीज़ों में ब्लड क्लॉट का खतरा
कैंसर मरीज़ों में उच्च संख्या में क्लॉटिंग कारकों और प्लेटलेट्स के रूप में जाना जाने वाले पदार्थ होते हैं। ये पदार्थ रक्त में किसी भी तरह की ब्लीडिंग को रोक देता है। कैंसर से ग्रस्त लोगों में प्रोटीन भी कम हो जाता है जिससे रक्त पतला होने लगता है। ये ब्लड क्लॉट बनने का कारण बनता है।
कैंसर के ईलाज की वजह से बढ़ जाता है ब्लड क्लॉट का खतरा
अगर किसी का ब्रेस्ट कैंसर का ईलाज चल रहा है तो उसमें ब्लड क्लॉट का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसा इनमें से किसी कैंसर ट्रीटमेंट की वजह से भी होता है :
कीमोथेरेपी
हार्मोन थेरेपी
टैमोक्सिफेन
सर्जरी
कोई टारगेट थेरेपी : बेवाकिजुमाब
जब कैंसर के मरीज़ को कीमोथेरेपी दी जाती है तो उसकी कोशिकाओं को खत्म कर दिया जाता है। इससे एक ऐसा पदार्थ निकलता है तो ब्लड क्लॉट का कारण बन सकता है। सर्जिकल प्रोसीजर के साथ कीमोथेरेपी में कैंसर मरीज़ों में रक्त वाहिकाओं की दीवारें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इसकी वजह से ब्लड क्लॉट का खतरा भी बढ़ जाता है।
कैंसर के मरीजों में बड़ी नसों में एक लंबी अंतःशिरा रेखा (एक केंद्रीय रेखा) डाली जाती है और ये सब कीमोथेरेपी और अन्य दवाओं के असर के लिए किया जाता है। नसों के सिरे पर ब्लड क्लॉट बनने की संभावना ज्यादा रहती है।
हालांकि, कुछ ऐसी दवाएं भी मौजूद हैं जो ब्लड क्लॉट को बनने से रोकती हैं। कैंसर को भी अक्रियाशील किया जा सकता है। कैंसर के मरीज़ में कमजोरी आ जाती है जिस वजह से वो शारीरिक रूप से कम क्रियाशील हो जाता है। कुछ ना करने पर भी ब्लड क्लॉट बनने लगता है।
ब्लड क्लॉट के बढ़ने के कारण
धूम्रपान
बढ़ा हुआ वजन
ब्लड क्लॉट की हिस्ट्री
फ्रैक्चर
ह्रदय रोग और मधुमेह
ब्लड क्लॉट ट्रीटमेंट और बचाव
ब्लड क्लॉट की ट्रीटमेंट में दवाओं से खून को पतला किया जाता है। ऐसा इंजेक्शन से किया जाता है। बाद में टैबलेट दी जाती हैं। ये टैबलेट ज्यादा से ज्यादा एक महीने तक खानी होती है। इस दौरान आपको नियमित ब्लड टेस्ट भी करवाना होता है।
अगर आपको पहले भी ब्लड क्लॉट हो चुका है तो आपको छोटी-छोटी सैर करते रहना चाहिए। आसान सी एक्सरसाइज़ से भी फायदा होगा। ढेर सारा पानी पीकर खुद को हाइड्रेट रखें।
हेमाटोमास से शरीर को कई तरह के नुकसान होते हैं जैसे कि त्वचा टाइट हो जाती है। ब्रेस्ट में ऊपर सूजन आने लगती है और वो सख्त हो जाती है। छोटे साइज़ वाले हेमाटोमा में ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि ये अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। मीडियम साइज़ वाले हेमाटोमा को ठीक होने में एक महीने का समय लग जाता है। वहीं बड़े आकार के ब्लड क्लॉट को मेडिकल ईलाज की जरूरत होती है।