हैदराबाद। UIDAI अध्यक्ष जे. सत्यनारायण ने आधार के उपयोग को लेकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि आधार के कारण भारत ने अब तक 90,000 करोड़ रुपये बचा लिए हैं। सत्यनारायण ‘डिजिटल पहचान’ पर आधारित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पहुंचे थे, जहां उन्होंने यह बात कही।
UIDAI अध्यक्ष ने कहा कि औसतन लगभग तीन करोड़ लोग आधार का उपयोग प्रतिदिन करते हैं और इसका उपयोग मुख्य रूप से राशन, पेंशन, ग्रामीण रोजगार, छात्रवृत्ति में हुआ है।
आधार पर विशेष ध्यान
बुधवार को शुरू हुए तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) ने किया है। सम्मेलन में ‘आधार’ पर विशेष ध्यान दिया गया है।
90,000 करोड़ रुपयों की बचत
सत्यनारायण ने अपने मुख्य संबोधन में कहा कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विभाग, खाद्य एवं लोक वितरण, ग्रामीण विकास और अन्य विभागों ने 90,000 करोड़ रुपयों से ज्यादा के राजस्व की बचत या आय की है।
कुछ क्षेत्रों में शोध की जरूरत
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि शासन तंत्र प्रौद्योगिकी के साथ लगातार प्रगति कर रहा है और इससे देश ‘अदृश्य शासन’ की परिकल्पना की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कुछ क्षेत्रों में शोध कराने की जरूरत पर जोर दिया।
किन क्षेत्रों में शोध जरूरी
उन्होंने कहा, ‘हमें अधिक कुशल बायोमेट्रिक तंत्र, आधार ईको तंत्र, नामांकन प्रक्रिया में सुधार, अपडेशन और प्रमाणीकरण, कम नेटवर्क वाले क्षेत्रों में कार्यान्वयन और धोखाधड़ी का पता लगाने और उसकी रोकथाम के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा मशीन लर्निंग का उपयोग करने के लिए शोध करने की जरूरत होगी।’
डिजिटल आइडेंटिटी रिसर्च इनीशिएटिव
सम्मेलन का उद्देश्य आईएसबी में ‘डिजिटल आइडेंटिटी रिसर्च इनीशिएटिव’ (डीरी) द्वारा किए गए शोध कार्यो का प्रदर्शन करना है। डीरी का शोध मुख्य रूप से आधार को ध्यान में रखकर तथा पारिस्थितिकी तंत्र के लाभ और नुकसान का पता लगाने पर निर्भर है।
सम्मेलन में 150 शोधकर्ता
डीरी के कार्यकारी अधिकारी अश्विनी छात्रे ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का विषय तैयार किया। इस सम्मेलन में ‘डिजिटल पहचान’ के भारत और विदेश के लगभग 150 शोधकर्ता भाग ले रहे हैं।