तिरूवनंतपुरम: केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के कपाट बुधवार को पारंपरिक मासिक पूजा के लिए खुल रहे हैं. हालांकि सबरीमाला मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार निलाकल में तनाव जोरों पर है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भगवान अयप्पा के दरवाजे महिलाओं के लिए खुलने को लेकर मचे सियासी संग्राम और विरोध-प्रदर्शन के देखते हुए प्रशासन फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है.
यहां निलाकल बेस कैंप में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए भारी सुरक्षा का इंतजाम किया गया है.
सूबे के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मंदिर में प्रवेश से रोकने की कोशिश करने वालों को कड़ी चेतावनी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी उम्रवर्ग की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी. बता दें कि, इसी मुद्दे को लेकर त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने मंगलवार को अहम बैठक बुलाई थी जिसमें कोई सहमति नहीं बन सकी.
मंगलवार को पहाड़ी पर स्थित सबरीमला मंदिर से लगभग 20 किलोमीटर दूर बेस कैंप निलाकल में महिलाओं के समूह को प्रत्येक वाहनों को रोकते देखा जा सकता था
Devotees of Lord Ayyappa who have gathered at Nilakkal, the base camp of #SabarimalaTemple as the gate of the temple is all set to open today, say, "We are facing problems as administration is not giving clear answers on when doors will open." #Kerala pic.twitter.com/LQxNRm6YWr
— ANI (@ANI) October 16, 2018
इससे पहले सबरीमला मुद्दे पर विरोध के बीच भगवान अयप्पा मंदिर में दर्शन करने जाने की घोषणा करने वाली केरल की एक महिला ने सोमवार को शिकायत की कि उसे सोशल मीडिया पर धमकियां दी जा रही हैं और अपशब्द कहे जा रहे हैं.
Kerala: #Visuals of heavy security deployment near Nilakkal, the base camp of #SabarimalaTemple as the portals of the temple are all set to open today. pic.twitter.com/YomkknhEVl
— ANI (@ANI) October 17, 2018
पहाड़ी स्थित सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति वाले उच्चतम न्यायालय के आदेश से उत्साहित कन्नूर जिला निवासी 32 वर्षीय महिला रेश्मा निशांत ने हाल में फेसबुक पर पोस्ट करके बताया कि वह मंदिर जाएगी.
गत 28 सितम्बर को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने मासिक धर्म वाली आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर प्रवेश से रोक हटा दी थी.
रेश्मा ने स्वयं को भगवान अयप्पा का एक निष्ठावान भक्त बताया और कहा कि उसने 17 नवम्बर को शुरू होने वाली वार्षिक तीर्थयात्रा के वास्ते मंदिर तक चढ़ाई के वास्ते 41 दिवसीय व्रत शुरू कर दिया है.
रेश्मा ने यह भी कहा कि उसने सबरीमला जाने से पहले प्रथा के तहत भगवान अयप्पा के लाकेट वाली माला भी पहन ली है.
उसने कहा, ‘‘बड़ी संख्या में लोगों ने मंदिर जाने के मेरे निर्णय का समर्थन किया है. यद्यपि मेरे खिलाफ आलोचना का अभियान भी चल रहा है.’
उसने कहा, ‘मैंने जैसे ही अयप्पा मंदिर में दर्शन करने के अपने निर्णय की घोषणा की, सोशल मीडिया पर धमकी और अपशब्दों की बाढ़ आ गई.’
यद्यपि रेश्मा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने उसकी जैसी महिला श्रद्धालुओं को पहाड़ी मंदिर जाने की इजाजत दी है और उम्मीद है कि राज्य सरकार और पुलिस उसे आवश्यक संरक्षण प्रदान करेगी. उसने कहा कि उसके साथ तीर्थयात्रा पर कुछ अन्य महिलाएं भी रहेंगी.