तिरुवनंतपुरम/नई दिल्ली : केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के कपाट को खुले आज तीन दिन हो गए हैं. लेकिन अब भी मंदिर के दर पर महिलाओं का प्रवेश नहीं हो पाया है. पिछले तीन दिनों से ही हिंदू संगठनों द्वारा मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करने से रोका जा रहा है. इस बीच मंदिर के आस-पास लगातार हिंसा का माहौल बना हुआ है.
शुक्रवार को भी मंदिर के बाहर नारेबाजी और हंगामा हो रहा है. भारी सुरक्षा के बीच पुलिस हेलमेट पहनाकर दो महिलाओं को मंदिर की तरफ ले जा रही है. उन्हें रोकने के लिए प्रदर्शनकारी नारेबाजी और हंगामा कर रहे हैं. दोनों महिलाएं मंदिर से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर ही हैं. इनमें एक पत्रकार भी शामिल है.
प्रदर्शनकारी महिला पत्रकारों को मंदिर की ओर बढ़ने से रोक रहे हैं. जो दो महिलाएं जा रही हैं उनमें पत्रकार कविता जक्कल, एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा शामिल हैं. पुलिस दोनों महिलाओं को हेलमेट पहनाकर कड़ी सुरक्षा में आगे बढ़ा रही है. इस बीच कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया गया है.
प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस में बहस हो गई. आईजी श्रीजीत ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि हमें कानून व्यवस्था को ठीक रखना है, मैं भी अयप्पा का भक्त हूं. लेकिन हमें कानून को लागू करना है.
कौन है महिला पत्रकार?
मंदिर की ओर बढ़ने वाली महिला पत्रकार हैदराबाद से है, शुक्रवार को सबरीमाला पहाड़ी की चढ़ाई शुरू कर दी. विदेशी मीडिया संगठन के लिए काम करने वाली दिल्ली की पत्रकार के मंदिर में दर्शन करने में विफल रहने के एक दिन बाद एक अन्य महिला ने चढ़ाई शुरू की है.
पुलिस ने महिला को सुरक्षा मुहैया कराई है, महिला ने अपने पेशेवर काम के सिलसिले में सबरीमाला सन्निधानम जाने के लिए सुरक्षा देने का अनुरोध किया था.
महिला की उम्र लगभग 25 वर्ष है और अगर वह सबरीमाला पहाड़ी पर चढ़ जाती है तो वह उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सबरीमाला के भगवान अयप्पा मंदिर में जाने वाली माहवारी उम्र की पहली महिला होगी.
गुरुवार को भी रहा तनाव
भगवान अयप्पा मंदिर के पांच दिनी तीर्थयात्रा के दूसरे दिन गुरुवार को भी केरल में तनाव बना रहा. राज्य में कथित तौर पर पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर हमले के खिलाफ बंद रखा गया है.
एक तरफ राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन कराने का प्रयास कर रही है, तो दूसरी ओर हिंदूवादी संगठनों ने परंपरा की दुहाई देते हुए महिलाओं से मंदिर में प्रवेश नहीं करने का आग्रह किया है.
पुजारियों की अपील- आस्था का हो सम्मान
सबरीमाला के पुजारी परिवार के एक वरिष्ठ सदस्य ने 10 से 50 साल आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक की परंपरा का सम्मान करने व महिलाओं से अयप्पा के मंदिर में न जाने का आग्रह किया. महिलाओं के प्रवेश पर रोक इसलिए है कि माना जाता है कि अयप्पा ‘ब्रह्मचारी’ थे.
आरएसएस और भाजपा से जुड़े प्रदर्शनकारियों के बुधवार को हमलों और हिंसा के बीच कुछ महिला पत्रकारों को कवरेज जारी रखने से रोका गया. ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की भारत में रिपोर्टर सुहासिनी राज अपने सहकर्मी के साथ गुरुवार की सुबह पंबा द्वार से अयप्पा मंदिर तक जाने में कामयाब रहीं, लेकिन उन्हें बीच में नाराज भक्तों ने रोक दिया. कुछ लोग उन पर पत्थर बरसाने लगे.
पुनर्विचार याचिका डाल सकता है बोर्ड
दिन की समाप्ति पर, त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) के अध्यक्ष ए. पद्मकुमार ने मीडिया से कहा कि वे इस मामले का हल निकालने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं.
पद्मकुमार ने कहा, “हम एक बैठक करने जा रहे हैं और हम यह पूछना चाहते हैं कि अगर हम सर्वोच्च न्यायायल में इस मामले में पुनर्विचार याचिका डालेंगे तो क्या प्रदर्शनकारी पीछे हट जाएंगे?”
भगवान अयप्पा का मंदिर बुधवार को शाम पांच बजे मासिक पूजा-अर्चना के लिए खोला गया. सर्वोच्च न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले के बाद बुधवार को पहली बार मंदिर खोला गया. परंपरा के अनुसार, मंदिर को मलयालम माह की शुरुआत में पांच दिनों तक खोला जाता है. मंदिर अब 22 अक्टूबर तक खुला रहेगा.