हैदराबाद: भारतीय क्रिकेट टीम के लिए काफी समय से नंबर चार पर बल्लेबाजी एक गहन समस्या बनती चली आई है. आंकड़ों के मुताबिक भारत ने विश्व कप 2015 के बाद जो 72 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं उनमें 11 खिलाड़ियों को नंबर चार पर आजमाया है.
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में खेले गये पिछले विश्व कप के बाद से नंबर चार पर उतरे 11 बल्लेबाजों में शामिल महेंद्र सिंह धोनी सर्वाधिक 11 पारियों में इस नंबर पर बल्लेबाजी के लिये उतरे जिनमें उन्होंने 32.81 की औसत से 361 रन बनाए. धोनी के अलावा अंजिक्य रहाणे को एक समय नंबर चार के लिये आदर्श बल्लेबाज माना जाता था लेकिन वह निरंतर अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहे. रहाणे ने नंबर चार पर दस पारियों में 46.66 की औसत से 420 रन बनाये जिसमें चार अर्धशतक शामिल हैं.
युवराज सिंह भी इस बीच नौ पारियों में नंबर चार पर उतरे और उन्होंने 44.75 की औसत से 358 रन बनाये जिसमें 150 रन की एक पारी भी शामिल है. युवराज इस पारी के अलावा कुछ खास जलवा नहीं दिखा पाये थे जिससे उन्हें टीम में अपना स्थान गंवाना पड़ा. दिनेश कार्तिक नौ पारियों में 52.80 की औसत से 264 रन अब भी इस स्थान पर अपना दावा ठोकने की कोशिश कर सकते हैं.
इनके अलावा मनीष पांडे (सात पारियों में 183 रन), हार्दिक पंड्या (पांच पारियों में 150 रन), मनोज तिवारी (तीन पारियों में 34 रन), लोकश राहुल (तीन पारियों में 26 रन) और केदार जाधव (तीन पारियों में 18 रन) भी इस बीच चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिये उतरे लेकिन प्रभावित करने में असफल रहे.
लेकिन पहली बार अब कप्तान विराट कोहली को लग रहा है कि टीम को इस महत्वपूर्ण नंबर पर अंबाती रायुडु के रूप में एक उपयोगी बल्लेबाज मिल गया है. आपको बता दें कि रायुडु अभी तक केवल चार पारियों में नंबर चार पर खेलने के लिये उतरे हैं, जिनमें उन्होंने 72.33 की औसत से 217 रन बनाये हैं. इनमें सोमवार को वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई में बनाया गया शतक भी शामिल है जिसके बाद कोहली और उप कप्तान रोहित शर्मा ने उन्हें इस स्थान के लिये सबसे उपयुक्त बल्लेबाज करार दिया था.
इससे पहले एशिया कप में कोहली की अनुपस्थिति में रायुडु नंबर तीन पर बल्लेबाजी के लिये उतरे थे. वहां भी उन्होंने निरंतरता दिखायी थी. फिर जब कोहली की वापसी के बाद वे नंबर चार पर उतरे तो उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की.
गौरतलब है अगले साल इंग्लैंड में विश्व कप खेला जाएगा. वहीं रायुडु अभी हाल ही में हुए इंग्लैंड दौरे पर नहीं जा पाये थे क्योंकि वह यो-यो टेस्ट में नाकाम रहे थे.