बुरी आदतें बढ़ा रही हैं आपकी परेशानी

junk-food

भागदौड़ वाली दिनचर्या, अव्यवस्थित जीवनशैली, काम का बोझ और मानसिक तनाव के बीच बुरी आदतें मौजूदा वक्त में लोगों की परेशानी बढ़ा रही हैं। दरअसल, लोगों की शारीरिक ऊर्जा दिन-ब-दिन कम हो रही है। जरा सा चलने पर थक जाना, थोड़ा सा दौड़ने या सीढ़ियां चढ़ने पर हांफने लगना, ये सब एनर्जी लेवल में कमी के संकेत हैं जो आगे चलकर कई बीमारियों की वजह बन सकते हैं। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि शारीरिक ऊर्जा को कम करने वाली कौन सी बुरी आदतें हैं जिन्हें छोड़कर आप स्वस्थ जीवनशैली अपना सकते हैं।

28.6% करते हैं तंबाकू का सेवन
ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कुल 130 करोड़ आबादी में से 28.6 फीसदी लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 18.4 फीसदी युवा न सिर्फ तंबाकू बल्कि सिगरेट, बीड़ी, खैनी, अफीम, गांजा जैसे अन्य खतरनाक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। बीते साल आई डब्लयूएचओ की ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट में भी कुछ ऐसे ही चिंताजनक आंकड़े सामने आए थे।

11 साल में दोगुनी हुई शराब की खपत
भारत में बीते 11 सालों में प्रति व्यक्ति शराब की खपत दोगुनी हुई है। 11 साल पहले जहां एक व्यक्ति 3 लीटर शराब पीता था वहीं, अब इसकी खपत बढ़कर 6 लीटर हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, इस दशक में भारतीय युवाओं में तंबाकू और शराब के अलावा ड्रग्स की लत भी तेजी से बढ़ी है। ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों के सेवन से शारीरिक कार्यक्षमता बनाए रखने में ऊर्जा का अत्यधिक इस्तेमाल होता है, जिसके चलते ये नशीले पदार्थ लिवर और फेफड़ों में विषाक्त पदार्थ के रूप में जमा होने लगते हैं ।

जंक फूड खा रहे ऊर्जा
खानपान की आदतें भी बीते कुछ वर्षों में तेजी से बदली है। जंक फूड न केवल शहरों बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी अब पांव पसारने लगे हैं। 2018 में आई क्लिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, 35 फीसदी भारतीय सप्ताह से भी कम समय में एक बार फास्ट फूड जरूर खाते हैं। इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ के सर्वे के अनुसार, 14 फीसदी स्कूली बच्चे मोटापे का शिकार हैं। जंक फूड में जरूरी पोषण तत्वों की कमी से मोटापा बढ़ता है। कम उम्र में कलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा और लीवर व खाना पचाने वाले अन्य पाचन अंगों को जंक फूड को पचाने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा और हॉर्मोनल स्राव की जरूरत होती है, क्योंकि इन खाद्य पदार्थों में काबोर्हाइड्रेट और वसा की उच्च मात्रा होती है।

उड़ गई नींद
बदलती जीवनशैली और शहरी लाइफस्टाइल कम नींद का प्रमुख कारण है। काम का बोझ, शिक्षा का दबाव, रिश्तों में आती खटास, तनाव और अन्य समस्याओं के कारण लोगों को नींद नहीं आती है। युवा ज्यादातर समय मूवी देखने और रात में पार्टी करने में बिताते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं, नींद की कमी से तनाव के हॉर्मोन रिलीज होते हैं। कम नींद से हृदय रोग और मोटापे का खतरा बना रहता है। नींद न आने की वजह से शरीर को और भी ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है। ऐसे में वसा का संचय होता है, जिससे डायबीटीज का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है।

Print Friendly, PDF & Email

Related posts

Leave a Comment