नई दिल्ली : एमसीडी चुनाव को लेकर तमाम दलों में गुणा-भाग का दौर जारी है. कई लोग इसे पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों के परिणाम से जोड़कर देख रहे हैं. तो कइयों ने यह आंकलन कर डाला कि अगर 5 राज्यों में से 2 पर भी कांग्रेस काबिज होती है तो एमसीडी इलेक्शन पर इसका सीधा असर पड़ेगा. ऐसे भी विधानसभा के परिणाम आने में समय है.
कांग्रेस में एमसीडी चुनाव के सीटों और क्षेत्र को लेकर रणनीति बनना शुरू हो चुका है. 2017 में हुए नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को 31 सीटें ही मिली थीं. बीजेपी को 181 और आम आदमी पार्टी को 49 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार शुरू से ही कांग्रेस के लिए करो या मरो जैसा संघर्ष है.
दिल्ली कांग्रेस भले ही कई मुद्दों को लेकर जनता के बीच आकर खड़ी हो रही है, लेकिन कांग्रेस के पुराने नेता भी मानते हैं कि कांग्रेस में नई धार की जरूरत है. जो केवल बंद कमरे में रणनीति बनाने भर से नहीं होगा, बल्कि लगातार काम करने से ही मुमकिन हो पाएगा. अगर हम बात करें 2017 के एमसीडी चुनाव की तो इतिहास में की गई
गलतियों से ही आदमी सीखता है.कांग्रेस के लिए एमसीडी चुनाव में टर्निंग प्वाइंट हो सकता है ईस्ट दिल्ली का वोट बैंकउत्तरी दिल्ली में कांग्रेस को 16 सीटें, दक्षिणी दिल्ली में 12 तो ईस्ट दिल्ली में 3 सीटें मिली थीं. हालांकि इस बार के एमसीडी चुनाव होने से कुछ महीने पहले ही एक दर्जन नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और एक्स एमएलए अनिल भारद्वाज ने बताया कि जिस तरीके से कांग्रेस ने पोल खोल रैली निकाली थी.
ईस्ट दिल्ली में उससे बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा और इसे बड़ी टर्निंग पॉइंट के रूप में देखा जा रहा है. ईस्ट दिल्ली की जनता बीजेपी और आप पार्टी से खफा है. दोनों ही पार्टियों ने भ्रष्टाचार की चरम सीमा पार कर दी है. लोगों को अब बदलाव चाहिए. जिसका फायदा कहीं न कहीं कांग्रेस को मिलेगा.
कांग्रेस के लिए एमसीडी चुनाव में टर्निंग प्वाइंट हो सकता है ईस्ट दिल्ली का वोट बैंक
प्रीतम कपूर