बस्ती। कभी बस्ती सहित आसपास के क्षेत्रों में जीवनदायिनी मानी जाने वाली तीनों नदियां मनवर, कुआनों और सरयू की अस्तित्व खतरें में पड़ गया है। सरकार की हीलाहवाली और प्रशासन की लापरवाही से नदियों में गंदगी की भरमार हो गई है। सूखने की कगार पर पहुंची ये नदियां अब नाले में तब्दील हो गई है।
जिले में मनवर, कुआनों और सरयू नदियां यहां की मुख्य नदी मानी जाती है, लेकिन आज इन तीनों प्रमुख नदियां अपना अस्तित्व खोती जा रही है। मनवर नदी को पौराणिक नदी माना जाता है लेकिन इनकी हालत यह है की आज इस का पानी इतना दूषित हो चुका है कि आचमन तो दूर हाथ धुलने लायक नहीं बचीं है। साथ ही नदी लगातार सिकुड़ती जा रही है।
क्या है पौराणिक महत्व
मखौड़ा धाम पर मनवर नदी के किनारे राज दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया था। जिसके बाद भगवान राम, लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ था। आज मनवर नदी का पानी पूरी तरह से दूषित हो चुका है। लोग कभी बड़ी श्रद्धा के साथ इस नदी में नहाते थे, पानी पीते थे लेकिन नदी की आज यह हालत है इस का पानी जानवर तक नहीं पी सकते।
वहीं कुआनों नदी की बात की जाए तो इस का पानी भी काला पड़ चुका है इस नदी में पेपर मिल और बभनान शुगर मिल का कचरा गितरा है जिसकी वजह से नदी का पानी काला होता जा रहा है। जनपद की ज्यादातर नदियां अपना दम तोड़ रही हैं, लेकिन जिला प्रशासन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। नदियों में कचरा गिराने वाली फैक्ट्रियों पर भी कोई नहीं की जाती है। नदियों की सफाई के नाम पर लाखों रूपए खर्च किए जाते हैं लेकिन नदियों की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
नदियों को खत्म करने की हो रही साजिश!
बस्ती की गंगा कही जाने वाली पौराणिक महत्व वाली कुआनो नदी को खत्म करने का सुनियोजित षडयंत्र चल रहा है। गो गंगा गायत्री की बात करने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं से लेकर जिला प्रशासन, नगर पालिका तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं का मौन हतप्रभ करने वाला है। चित्रांश क्लब, हिन्दू युवा वाहिनी समेत कई संगठनों ने कुआनो बचाओ आन्दोलन के जरिये नदी को प्रदूषण मुक्त कराने की लम्बी लड़ाई लड़ी।फिर भी नतीजा शून्य रहा।
इनख़बर
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