नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व के नेताओं से आतंकवाद से निपटने का आह्वान करते हुए कहा है कि आतंकवादियों के प्रशिक्षण और उनकी आर्थिक मदद को रोकने के लिए प्रभावी उपाय जरूरी हैं। कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में आज शंघाई सहयोग संगठन के 17वें सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि मानवता के लिए आतंकवाद एक बड़ा खतरा है।
आतंकवाद मानव अधिकारों तथा मानव मूल्यों के सबसे बड़े उल्लंघनकारियों में से एक है। मुद्दा चाहे रेडिकलाइजेशन का हो, टेरेरिस्ट के रिक्रुटमेंट का, उनकी ट्रेनिंग का अथवा फाइनाइसिंग का। जब तक हम सभी देश मिलकर इस दिशा में कोर्डिनेटेड तथा सशक्त एफर्टस नहीं करेंगे तब तक इन समस्याओं का समाधान असंभव है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत संगठन के सदस्य देशों के बीच संपर्क बढ़ाने को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और इसके लिए मिलकर काम करता रहेगा।
मोदी ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में भी मददगार हो सकता है। उन्होंने संगठन की सदस्यता दिलाने में भारत का समर्थन के लिए सदस्य देशों का आभार व्यक्त किया। श्री मोदी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के शामिल होने से संगठन में वैश्विक आबादी का बयालिस प्रतिशत और वैश्विक सकल घेरलू उत्पाद का बीस प्रतिशत प्रतिनिधित्व हो जाएगा।
एससीओ विश्व की लगभग ट्वेंटी टू परसेंट भूभाग को रिप्रजेंट करेगी। एससीओ देशों में हमारी सहभागिता के कई आयाम है। ऊर्जा, एजुकेशन, एग्रीकलचर, सुरक्षा, मिनरल्स, डवलपमेंट, पाटनरशिप, ट्रेड तथा इनवेस्टमेंट इसके प्रमुख ड्राइवर्स हैं।
भारत का बढ़ेगा रुतबा और पाकिस्तान पर बनेगा दबाव
1. पाकिस्तान पर बनेगा दबाव-रूस की सिफारिश के बाद ही भारत को इस ऑर्गनाइजेशन का पक्का सदस्य बनाया गया है। भारत जो उरी आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को अलग-थलग करने में लगा हुआ है वह जब इस ऑर्गनाइजेशन का स्थायी सदस्य बन जाएगा तो कहीं न कहीं पाकिस्तान पर दबाव बनाने में उसे आसानी हो सकेगी।
2. भारत को मिलेगा एंटी-टेररिस्ट स्ट्रक्चर का फायदा-एक बार एससीओ में स्थायी एंट्री मिलने के बाद भारत को ताशकंद स्थित रीजनल एंटी-टेररिस्ट स्ट्रक्चर ऑफ शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन या फिर रैट्स का फायदा मिल सकेगा। विदेश मंत्रालय में ज्वांइट सेक्रेटरी जीवी श्रीनिवास ने बताया किरैट्स की वजह से भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी। भारत इसकी वजह से कई तरह के गतिविधियां जिसमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ज्वाइंट एक्सरसाइज, आतंकियों और अवांछित तत्वों का डाटा बैंक तैयार करने भी मदद मिल सकेगी।
3. सेंट्रल एशिया पर दबाव-एससीओ की पूर्ध सदस्यता का मतलब भारत की सेंट्रल एशिया के देशों तक आसान पहुंच। सेंट्रल एशिया के कई देश संसाधनों के मामले में काफी मजबूत हैं और यह बात भारत को काफी हद फायदा पहुंचा सकती है। इसके साथ ही भारत यहां के बाजारों में भी अपनी पकड़ को मजबूत कर सकेगा। मेजबान देश कजाखिस्तान जो भारत को सबसे ज्यादा यूरेनियम सप्लाई करता है, भारत की आर्थिक प्रगति का एक अहम मंच बन सकता है। श्रीनिवास ने पीटीआई को बताया कि भारत के एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने के बाद भारत की सेंट्रल एशिया का एक अहम देश बन सकता है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए ही भारत ने इसकी पूर्ण सदस्यता के लिए अप्लाई किया था।
4. ब्रिक्स से भी बड़ा-भारत के आने के बाद एससीओ, ब्रिक्स से भी बड़ा संगठन बन सकता है। इस संगठन में जहां रूस, चीन और भारत जैसे आर्थिक सम्पन्न देश हैं तो वहीं कुछ ऐसे देश भी हैं जो अर्थव्यवस्था के मामले में इन देशों से कमजोर हैं। भारत के आने के बाद इस संगठन के सभी देशों का आपसी संपर्क बढ़ेगा। एससीओ के बाद अब भारत की नजरें एश्गाबात एग्रीमेंट पर हैं और यह एग्रीमेंट इंटरनेशनल एग्रीमेंट एंड ट्रांजिट कॉरीडोर से जुड़ा है। यह कॉरीडोर ओमान, तुर्केमिनिस्तान, किर्गिस्तान, कजाखिस्तान और पाकिस्तान को आपस में जोड़ता है।
5. वर्ष 2005 से भारत इसका पर्यवेक्षक- श्रीनिवास ने बताया कि भारत वर्ष 2005 से ही एससीओ का पर्यवेक्षक रहा है और वर्ष 2014 में इसने इसका पूर्ण सदस्य बनने के लिए अप्लाई किया था। एससीओ में अभी चीन, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान शामिल हैं।आपको बता दें कि एससीओ के छह सदस्य देशों का भू-भाग यूरेशिया का 60 प्रतिशत है। यहां दुनिया के एक चौथाई लोग रहते हैं।
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