द कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने कहा कि बांग्लादेशी अधिकारियों को अब्दुल लतीफ मोरोल के खिलाफ सभी आरोपों को खारिज कर देना चाहिए. साथ ही उन्हें रिहा करना चाहिए. बता दें कि पुलिस ने उनके ऊपर एक मरी हुई बकरी की रिपोर्टिंग का आरोप लगाया था.
मरी हुई बकरी की रिपोर्टिंग का आरोप
डुमरिया में लगभग 200 किलोमीटर (124 मील) दक्षिण पश्चिम ढाका में पुलिस ने पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया था. उनके ऊपर एक मरी हुई बकरी की रिपोर्टिंग का आरोप था. उन्होंने फेसबुक पर लिखा था कि बकरी मर चुकी है. इस पोस्ट के बाद उनके ऊपर मानहानि का आरोप लगाया गया था.
किसानों को पशुओं का किया था दान
मत्स्य पालन और पशुधन राज्यमंत्री नारायण चंद्र चंदा ने 30 जुलाई को पशुधन को गरीबों को दान दिया. स्थानीय अख़बारों के मुताबिक दान में दी बकरियों में से एक की मृत्यु हो गई थी. इसके बाद मॉरोल ने एक फेसबुक पोस्ट लिखी. उसमें उन्होंने लिखा “सुबह राज्य मंत्री द्वारा दी गई बकरी शाम को मर जाती हैं”. इस पोस्ट के बाद पुलिस ने मॉरोल को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस का दावा है कि मोरोल ने चंदा को फेसबुक पर अपमानजनक पोस्ट करके बदनाम किया. इसके लिए उनपर मानहानि का केस दर्ज किया गया.
बता दें कि सीपीजे ने वाशिंगटन डीसी में एक कार्यक्रम में कहा कि एक मरी हुई बकरी की मौत की रिपोर्ट करने के लिए एक पत्रकार को गिरफ्तार करना बेतुका है. उन्होंने जल्द से जल्द रिहा कर दिया जाना चाहिए.
बांग्लादेशी कानून मंत्री, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री अनीसुल हुक मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ढाका में पत्रकारों से कहा, “मैंने पहले ही कहा है और फिर से कह रहा हूं कि अगर बोलने की स्वतंत्रता पत्रकारों के खिलाफ कोई रुकावट बनी, तो जांच अधिकारी या एजेंसियां इसे देखेंगे.”
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