पेइचिंग : पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच होने वाली मुलाकात में भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी पर भी चर्चा हो सकती है। भारत की तरफ से बैंकिंग घोटाले के बाद फरार चल रहे नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की मांग की जा सकती है। ऐसी आशंका है कि नीवर मोदी हॉन्ग कॉन्ग में छिपा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक 27-28 अप्रैल को पीएम मोदी और चिनिफिंग के बीच अनौपचारिक मुलाकात में सीमा मुद्दे के अलावा इसपर भी चर्चा हो सकती है।
हालांकि कहने को चीन ने इस फैसले को हॉन्गकॉन्ग की लोकल अथॉरिटीज पर छोड़ रखा है लेकिन सभी जानते हैं कि अंतिम फैसला चीन ही लेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक नीरव मोदी के हॉन्गकॉन्ग के अरबपतियों से मजबूत रिश्ते हैं। सूत्रों का कहना है कि नीरव मोदी को भारत लाने से सरकार की छवि को बूस्ट मिलेगा। ऐसे में चीन इस मसले को सौदेबाजी के रूप में भी इस्तेमाल कर सकता है।
इस दौरान पीएम मोदी और शी की मुलाकात से पहले रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी सोमवार को चीन पहुंच चुकी हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पहले सी चीन में मौजूद हैं। मंगलवार को सीतारमन विदेशी मंत्री सुषमा स्वराज और चीन, रूस व सेंट्रल एशिया के देशों के मंत्रियों के साथ शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की बैठक में हिस्सा लेंगी। उधर, चीन ने भी मोदी और शी के बीच प्रस्तावित औपचारिक मुलाकात को लेकर अपनी गंभीरता दिखाई है।
शी के करीबी माने जाने वाले चीन के उप-राष्ट्रपति वांग क्विशान ने सोमवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की है। वांग ने शी-मोदी की प्रस्तावित मुलाकात पर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों और साझा चिंताओं के मुद्दों पर ‘अधिक आम सहमति’ तक पहुंचेंगे। चीन और भारत, दोनों ही पक्षों द्वारा इस मुलाकात को काफी अहम कदम समझा जा रहा है। माना जा रहा है कि सीमा विवाद की वजह से 72 दिनों का डोकलाम स्टैंडऑफ बातचीत के केंद्र में रहेगा।
सूत्रों का कहना है कि दोनों तरफ के अधिकारी सीमा विवाद के बहुआयामी पहलुओं की बारीकी से समीक्षा कर रहे हैं। सीमा विवाद में ऐसे विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान की कोशिश की जा रही है जिनपर ठोस कदम उठाया जा सके। मोदी-शी की मुलाकात के संदर्भ में बोलते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने यहां कहा कि वुहान में दोनों नेता महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों के साथ दुनिया में हो रहे ताजा घटनाक्रम पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘आपको यह अंदाजा होगा कि यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब दुनिया में वैश्वीकरण की प्रक्रिया में मनमानी बढ़ने के साथ संरक्षणवाद जोर पकड़ रहा है।’ लू ने कहा कि दोनों नेताओं की बैठक में इन सभी नई प्रवृत्ति पर चर्चा होगी। स्पष्ट रूप से उनका इशारा अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति की ओर था। इसके तहत कई संरक्षणवादी उपाय किये गये जिसको लेकर चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध चल रहा है।
प्रवक्ता से यह पूछा गया था कि क्या मोदी और शी की बैठक के बाद व्यापार और संरक्षणवाद, खासकर संरक्षणवादी उपायों को लेकर अमेरिका की मनमानी कार्रवाइयों के संदर्भ में कोई संयुक्त संदेश दिया जाएगा। उन्होंने कहा , ‘वह बैठक से पहले कुछ नहीं कह सकते है लेकिन यह तय है कि दोनों नेता इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे और विचारों का आदान-प्रदान करेंगे और मुझे भरोसा है कि आपको काफी सकारात्मक चीजें सुनने को मिलेगी।’
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